बीवी खाना दोगी ? लगता है जैसे उससे पूछ रहा हूँ. अभी वह स्कूल से नहीं आई है मगर भूख तेज लगी है. आँखें खोलता हूँ और सामने टी टेबल पर रखे लेपटोप को देखता हूँ दिन के बारह बजे हैं. नींद का झोंका फिर से आया और भूख जाग उठी. ड्राईंग रूम के सोफे पर लेटा हुआ मैं अपने मस्तक पर उभर आये पसीने को पोंछने के लिए हाथ बढाता हूँ ताजा हरा धनिये की खुशबू आती है. उस खुशबू में विम बार की गंध भी मिली हुई है. याद आता है कि मैं खुद अभी आलू और ग्वार फली की सब्जी बनाने के बाद बर्तन धोकर सींक साफ़ कर के आया हूँ.
बच्चे स्कूल गए हुए, उनके प्रोफ़ेसर चाचा कॉलेज और मेरी माँ गाँव यानि घर में अकेला हूँ. सुबह से उनींदा हूँ कि कल रात बारह बज कर पचास मिनट पर फोन आया. आधी नींद में उसका नाम देख कर भी यकीन नहीं हुआ कि उसने मुझे काल किया है. पिछले दस सालों में हमारी कभी बात नहीं हुई, तो इतनी रात गए ? खैर हाँ.. हाँ और हाँ के बाद उसे यकीन हुआ कि नंबर सही लगा है. सुनों आपके डी एस पी साहब की वाईफ इस समय पुलिस लाइन में चिल्लाती हुई गालियाँ दे रही है. हाँ वह देती है... कहता हुआ मैं पूछता हूँ कि क्या कर सकते हैं ?
उसने मुझे बताया कि सब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी हैरत में नहीं अफ़सोस में हैं कि आखिर इस पागलपन का अंत कहाँ पर होगा... और मैं उसे सुनता हूँ बस सुनता हूँ. पास की चारपाई पर सोयी पत्नी जाग उठती है. नौ मिनट की बातचीत के दौरान हम इस पर बोलते हैं कि मेरा भाई क्यों बरदाश्त करता है ये अनुत्तरित प्रश्न है. वह कहती है कल पूछो अपने भाई से कि क्यों है ? क्या कहूँ उससे कि वह बड़ा बनना चाहती है, जबकि हम गरीबी में खुश हैं.
फोन रखते ही सीने में दर्द उठा. हर्ट अटेक की प्राईम ऐज़ में जी रहा हूँ तो डर गया कि पिताजी की तरह कहीं मैं भी दिल के दौरे से मर ना जाऊं. बीवी को छोटे भाई का नया नंबर बताया. उसकी चारपाई को नजदीक किया ताकि बेचैन होने पर उसका हाथ पकड़ सकूँ. उसको बताया कि अगर मेरे माथे पर पसीना और शरीर में अकड़न हों और उसके बाद शांत हो जाऊं तो मेरा सीना जोर से दबाना कोई तीन सौ पांच बार. इस दौरान छोटे भाई को फोन करना जो छत पर सो रहा है. इन उपदेशों के बाद भी दर्द नहीं गया. मैंने एक घंटा जागते हुए बिताया. बीवी समझाती रही अस्पताल चलो. मैंने कहा कोई फायदा नहीं मैं पापा को ले गया था मगर वे नहीं बच सके. दर्द को संभालता हूँ. हाथ रख कर देखता हूँ और दिल को दिलासा देता हूँ कि ये अपच के कारण है फिर बीवी को बताता हूँ कि हम अगले सप्ताह जयपुर जा रहे हैं लिपिड प्रोफाईल के लिए.
ज़िन्दगी उतनी ही आसान और उतनी ही मुश्किल है जितना उसे होना चाहिए.
बच्चे स्कूल गए हुए, उनके प्रोफ़ेसर चाचा कॉलेज और मेरी माँ गाँव यानि घर में अकेला हूँ. सुबह से उनींदा हूँ कि कल रात बारह बज कर पचास मिनट पर फोन आया. आधी नींद में उसका नाम देख कर भी यकीन नहीं हुआ कि उसने मुझे काल किया है. पिछले दस सालों में हमारी कभी बात नहीं हुई, तो इतनी रात गए ? खैर हाँ.. हाँ और हाँ के बाद उसे यकीन हुआ कि नंबर सही लगा है. सुनों आपके डी एस पी साहब की वाईफ इस समय पुलिस लाइन में चिल्लाती हुई गालियाँ दे रही है. हाँ वह देती है... कहता हुआ मैं पूछता हूँ कि क्या कर सकते हैं ?
उसने मुझे बताया कि सब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी हैरत में नहीं अफ़सोस में हैं कि आखिर इस पागलपन का अंत कहाँ पर होगा... और मैं उसे सुनता हूँ बस सुनता हूँ. पास की चारपाई पर सोयी पत्नी जाग उठती है. नौ मिनट की बातचीत के दौरान हम इस पर बोलते हैं कि मेरा भाई क्यों बरदाश्त करता है ये अनुत्तरित प्रश्न है. वह कहती है कल पूछो अपने भाई से कि क्यों है ? क्या कहूँ उससे कि वह बड़ा बनना चाहती है, जबकि हम गरीबी में खुश हैं.
फोन रखते ही सीने में दर्द उठा. हर्ट अटेक की प्राईम ऐज़ में जी रहा हूँ तो डर गया कि पिताजी की तरह कहीं मैं भी दिल के दौरे से मर ना जाऊं. बीवी को छोटे भाई का नया नंबर बताया. उसकी चारपाई को नजदीक किया ताकि बेचैन होने पर उसका हाथ पकड़ सकूँ. उसको बताया कि अगर मेरे माथे पर पसीना और शरीर में अकड़न हों और उसके बाद शांत हो जाऊं तो मेरा सीना जोर से दबाना कोई तीन सौ पांच बार. इस दौरान छोटे भाई को फोन करना जो छत पर सो रहा है. इन उपदेशों के बाद भी दर्द नहीं गया. मैंने एक घंटा जागते हुए बिताया. बीवी समझाती रही अस्पताल चलो. मैंने कहा कोई फायदा नहीं मैं पापा को ले गया था मगर वे नहीं बच सके. दर्द को संभालता हूँ. हाथ रख कर देखता हूँ और दिल को दिलासा देता हूँ कि ये अपच के कारण है फिर बीवी को बताता हूँ कि हम अगले सप्ताह जयपुर जा रहे हैं लिपिड प्रोफाईल के लिए.
ज़िन्दगी उतनी ही आसान और उतनी ही मुश्किल है जितना उसे होना चाहिए.