तुझको छू लूं तो फिर ऐ जान ए तमन्ना


मुश्किल, आसानी, प्यार, उदासीनता, खालीपन और ज़िन्दगी से जद्दोज़हद के अट्ठारह साल.
कॉफ़ी, मसाला डोसा और दोपहर की ट्रीट वाले साल जोड़ लें तो कोई बीस साल और क्रश वाले बेहिसाब दिन... एक नज़र में टूट जाता है क्या कुछ मगर एक नज़र बचाए रख सकती है कितना. हेप्पी वाला दिन.

उम्मीद भर से नहीं आता
हौसला बरदाश्त करने का
कि सब कुछ भी दे दें,
तो भी कितना कम है, ज़िन्दगी के लिए.

सीली सी आँखों के पार,
गुज़रे सालों में देखा है बहुत बार
कि ऐसा कुछ नहीं है दुनिया में
जो बांध सके दो लोगों को, मुहब्बत के सिवा.
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