ऐसा भी कहीं होता है कि जो खिलता हो उसका बीज न हो। इसलिए प्रेम और दुख के भी बीज होते हैं। उनको भी चाहिए होता होगा कोई मौसम अपने रूपायन के लिए। मैंने एक ग्रीन हाउस बना रखा है। इसमें फूल रही पौध को लेकर संशय है कि बोता तो मैं प्रेम हूँ मगर उगता सिर्फ दुख ही है। इस पैदावार के सिलसिले को, इस काम को कुछ मुल्तवी किया जाने का सोचा है। इस फसल के ये कुछ ताज़ा फूल हैं।
मैंने कहा कि हम दो अलग अलग ही दिखते हैं सुंदर
कि दो सुंदर रंग मिल कर बन जाते हैं एक काला रंग।
मैंने सोचा कि उसने जवाब में कहा है
मैं बसा लूँगी इस रंग को अपनी आँखों में
मगर तब तक बावर्ची समेट लेता खाना दोपहर का
इसलिए वह चली गयी बिना कुछ कहे।
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फासला था बहुत
और लोग भी कहते जाने क्या क्या
इसलिए उसने कहा कि
आदमी का सबसे अच्छा आविष्कार है, डिवाइडर
तुम उस तरफ चलो, मैं इस तरफ चलूँगी।
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उसने कहा कि प्रेम रूह से होता है
इसी बात के जवाब में मैंने नहीं दिया सिर्फ एक मेसेज का जवाब
वो शायद रो पड़ी, न जाओ छोड़ कर।
मैंने सोचा कि कहाँ गए कृष्ण, राधा क्या हुई
मगर उसे न होगी कभी खबर मेरी तड़प की।
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उसके पेट पर बनी हुई है कैसी धारियाँ
उसकी पीठ पर क्या बचा है कोई निशान चोट का
उसे देखो अगर पीठ के बल तो कैसा दिखता है
उसे किसी ने नोच लिया था कहाँ से?
मैंने इस सब को दबा दिया है अपनी याद के तहखाने में
जगतपुरा में ज्ञान विहार के सामने बने हुये
ज़ेबरा क्रॉसिंग को भूल जाने के लिए, कर सकता हूँ कुछ भी।
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मैं गधा हूँ
जिसे मालूम है कि किस तरह किया जाता है
लेपटोप के की बोर्ड से टाइप।
मेरे गधा होने पर शक सिर्फ इसलिए है
कि एक गधा कैसे दुखा सकता है किसी का दिल कुछ ही शब्दों से।
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और आप सब लोग
न सोचना मेरे महबूब के बारे में कुछ बुरा
कि वह खुद है दुख का इक दरिया है
मैं भी उसी से पाता हूँ रोशनी दर्द की।
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रावण के पतन के बारे में हो सकते हैं असंख्य मत
उसका छद्म रूप धारण कर धर्म को अपमानित करना
शिव के श्रेष्ठ भक्त का घमंड से भर जाना
अपने उदार और विवेकी भाई के अधिकारों को हड़प जाना
पराई स्त्री को विवाह जैसे अतुल्य और श्रेयस्कर बंधन में बांधने का सपन देखना
युद्ध में अपने निर्दोष परिजनों को आगे कर देना
अपने भीतर छिपे जीवन कलश पर मूढ़ता से विश्वास करना।
मेरे पतन के कारण जब भी कोई गिनाए
तुम उदास मत होना
मैंने खुद ही चुना था रास्ता प्रेम करते हुये फरेब के हाथों मारे जाना।
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