सपने कितने अच्छे होते हैं न? पहाड़ की तलहटी, रेगिस्तान का कोई कोना या समंदर के किसी किनारे नीम रोशनी में एक दूजे के साथ होना और फिर वह प्यार करना, जिसे सोच कर जिए जाते रहे कि काश ऐसा हो।
हालांकि हम ऐसी ही जगह पर थे। ये अचंभा था। किसने सोचा था? चार पांच बरस पहले की दौड़भाग भरी मुलाकात के बाद, ये क्षण सचमुच आएगा।
हम दूर रहते हुए जितना कुछ सोचते थे, वैसा कुछ नहीं हो रहा था। हम मिलकर गले लगकर चुप बैठ गए थे। जैसे किसी बच्चे को उसके सपनों के संसार में बिठाकर कह दिया जाए, जल्दी करना हमें वापस जाना है।
कुछ नहीं सूझ रहा था। न तो कोई गहरे बोसे याद आ रहे थे। न हमने एक दूजे को बाहों में भरकर स्क्वीज किया। हालांकि हम ऐसी बहुत बातें करते थे।
उसने अपनी तर्जनी से मेरी बाईं हथेली पर कुछ लिखा। मैंने पूछा क्या?
उसने नज़रें नहीं उठाई। मैं भी खिड़की के कांच के पार धुंधले साए सोचने लगा। अचानक उसने कहा "लिखने से सचमुच आराम आता है?"
मैंने कहा "पता नहीं"
वह कहती है "मेरे पिताजी डायरी लिखते थे। वे देर रात को जब भी जागते डायरी लिखने बैठ जाते थे।"
मैंने कहा "हर कोई अपना थोड़ा सा हिसाब रखना चाहता है"
"ये हिसाब वाली डायरी नहीं थी। ये रिश्तों और एहसासों की डायरी थी" ऐसा कहते हुए उसने मेरी बांह को अपनी बांह से बांध लिया।
मैंने कहा "रिश्ते भी हिसाब ही हैं"
"माने?"
मैं कहा "जाने दो। हम बाद में बात करेंगे"
मैं उठकर पन्नी के बीच फिल्टर और तंबाकू रखने लगा। उसने मेरी डायरी को अधबीच से खोला। मुझे देखकर मुस्कुराई और पढ़ने लगी।
"दिल की दीवारें भी होती है। दिल के कोने और खाने भी होते हैं। वरना तुम कब कर नसों में बहकर खत्म हो चुके होते। वह जो रोना आता है, जो खुशी होती है। वह जो किसी क्षण अचानक उछल पड़ता है। वह जो अचानक रुक जाता है। जो कभी अगली धड़कन भूल जाता है। न तो पागल है, न वह आवारा है। वह तुम्हारी किसी बात की प्रतिक्रिया भर है।"
हवा का एक झौंका खिड़की के बाहर से तंबाकू की गंध अंदर ले आया। जले हुए तंबाकू की गंध। वह मुझ तक आई और कहने लगी सिगरेट खुद बना कर पीने लगे हो?
मैंने अपने बारे में सोचा। उनका खयाल आया जो किसी के साथ होने को कुछ भी बात बना सकते हैं। मैंने कहा "बाबू कुछ नहीं बचेगा। न ये न वो मगर...."
"मगर?"
"मैंने ये लम्हा तुम्हारे साथ जिस तरह जिया है। ये मरने से ठीक पहले जब जीवन के कीमती क्षणों की रील चलती है न, उस समय याद आयेगा"
क्या शहर था? दिल्ली। शायद दिल्ली