डिक नोर्टन को कम ही लोग जानते हैं. मैं भी नहीं जानता. उसके बारे में सिर्फ इतना पता है कि वह एक विलक्षण लड़की का दोस्त था. उससे दो साल आगे पढ़ता था. उस लड़की ने उसे टूट कर चाहा था. वह कहती थी, तुम्हारी साफ़ आँखें सबसे अच्छी है मैं इनमे बतखें और रंग भर देना चाहती हूँ एक नए चिड़ियाघर जैसा... उस लड़की का नाम सिल्विया प्लेथ था. हां ये वही अद्भुत कवयित्री है जिसने लघु गल्पनुमा आत्मकथा लिखी और उसका शीर्षक रखा 'द बेल जार' यानि एक ऐसा कांच का मर्तबान जो चीजों की हिफाज़त के लिए ढ़क्कन की तरह बना है.
प्लेथ ने आठ साल की उम्र में पहली कविता लिखी थी. इसके बाद उसने निरंतर विद्यालयी और कॉलेज स्तर की साहित्यिक प्रतियोगिताएं जीती. उसके पास एक मुक्कमल परिवार नहीं था. वह अकेले ही नई मंजिलें गढ़ती और फिर उन पर विजय पाने को चल देती थी. उसके भीतर एक प्यास थी कि वह दुनिया को खूबसूरत कविताओं से भर देना चाहती थी. वह पेंटिग करती थी. उसे गाने का भी शौक था. उसने कुछ एक छोटी कहानियां भी लिखी. जो उसने हासिल किया वह सब दुनिया की नज़र में ख़ास था किन्तु स्वयं उससे प्रभावित नहीं थी. उसकी कविताओं को अमेरिका की महान कविताओं में रखे जाने की बातें की जाने लगी थी फिर भी डिक नोर्टन के आस पास बीते दिनों के सिवा उसे कोई चीज अपनी नहीं लगी.
वह विद्वता और पागलपन के सी - सा झूले पर सवार थी. कभी उसे पागलखाने में बिजली के झटके लग रहे होते फिर वह दो साल में अपना शोध कार्य पूरा कर के जमा करवाती फिर किसी मनो चिकित्सक से उसका उपचार हो रहा होता और वह सबसे खूबसूरत कविता लिखती.
'द बेल जार' में वह अवसाद के दिनों में भी खूबसूरती से आशाओं को लिखती है. वह जीवन के उच्चतम शिखर पर बैठ कर घाटी में टहलती हुई मृत्यु को देखती है. तीस साल की होते होते एक दिन विदुषी अथवा पागल होने के बीच का बारीक फासला मिट गया. उसने अपने दो बच्चो को गीले टावेल से दूसरे कमरे में ढका, कमरे के दरवाजों के आगे फर्श पर पानी डाला ताकि वे हर संभावित खतरे से सुरक्षित रहें, फिर खुद को रसोई में बंद कर के कार्बन मोनों ऑक्साइड के लिए ओवन को ऑन कर लिया. सुबह साढ़े चार बजे के करीब उसने अपना सर ओवन में रखा और सो गई.
यह भयानक था. ओवन में सर रख कर मर जाने के ख्याल से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. डिक के बाद उसके जीवन में आये पूर्व पति द्वारा उसे मारे जाने के कयास लगाये गए. उस कवि पति को आशंका से देखा गया. एक अद्वितीय कवयित्री के प्रशंसकों ने गहन जांच का दवाब बनाया था लेकिन चिकित्सकों ने कहा कि यह एक आत्महत्या का मामला है, क्या मैं इसे एक विलक्षण आत्महत्या कह दूं ?
'द बेल जार' में वह अवसाद के दिनों में भी खूबसूरती से आशाओं को लिखती है. वह जीवन के उच्चतम शिखर पर बैठ कर घाटी में टहलती हुई मृत्यु को देखती है. तीस साल की होते होते एक दिन विदुषी अथवा पागल होने के बीच का बारीक फासला मिट गया. उसने अपने दो बच्चो को गीले टावेल से दूसरे कमरे में ढका, कमरे के दरवाजों के आगे फर्श पर पानी डाला ताकि वे हर संभावित खतरे से सुरक्षित रहें, फिर खुद को रसोई में बंद कर के कार्बन मोनों ऑक्साइड के लिए ओवन को ऑन कर लिया. सुबह साढ़े चार बजे के करीब उसने अपना सर ओवन में रखा और सो गई.
यह भयानक था. ओवन में सर रख कर मर जाने के ख्याल से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. डिक के बाद उसके जीवन में आये पूर्व पति द्वारा उसे मारे जाने के कयास लगाये गए. उस कवि पति को आशंका से देखा गया. एक अद्वितीय कवयित्री के प्रशंसकों ने गहन जांच का दवाब बनाया था लेकिन चिकित्सकों ने कहा कि यह एक आत्महत्या का मामला है, क्या मैं इसे एक विलक्षण आत्महत्या कह दूं ?
मेरा नाम डिक नोर्टन नहीं है. मैं प्लेथ की तरह विलक्षण नहीं हूँ इसलिए मेरे खो जाने की चिंता गैर वाजिब है. इन दिनों किसी को याद नहीं कर रहा हूँ मगर डर सिर्फ यही है कि जब से मैंने याद के गमलों को तोड़ना शुरू किया है, मेरी पसंद के फूल फिर से खिलने लगे हैं.