रात नसरुद्दीन अपने गधे को पुकारता रहा लेकिन गधा भड़भूंजे की भट्टी से बाहर फैंकी गई राख में लोटता रहा. नसरुद्दीन उससे नाराज़ हो गया. सुबह गधे ने उदास सी रेंक लगा कर कहना शुरू किया.
रात, मैंने एक कहानी पढ़ी है. उसका शीर्षक है धूप के आईने में और इसका अर्थ लगाया है कि खिले हुए दिन में जो साफ़ दिखाई देता है. इस कहानी में कहा है कि महबूब का घर दिल में होता है तो फिर इंसान क्या खोजता फिरता है ? कहानी में एक मोची है, वह दुनिया के आम आदमी का प्रतिनिधि. मुझे लगता है कि वह मैं हूँ. ऑफिस जाता हुआ, माँ को अस्पताल ले जाता, बच्चों को हौसला देता. पत्नी के सुखी और संपन्न परिवार के सपने को पूरा करता हुआ. उस सपने को अपने विश्वास से सींचता हुआ. हाँ मैं वही मोची हूँ जो सफ़र के लिए सुरक्षित पांवों की चाह वाले लोगों की मदद करता है.
जो अपने जूते और मजबूत करवा लेना चाहती है वह मेरी आत्मा है. उसके बारे में मुझे कुछ खास मालूम नहीं है कि ये हमेशा बेचैन रहती है. इसकी फितरत ऐसी है कि हमेशा धोखे खाता रहता हूँ. मेरी आत्मा मुहब्बतों के छलावे में दर्द और फ़िराक की सौदागर है. मैं अपने दुनियावी परिवार की हिफाज़त में लगा होता हूँ तब ये नए हादसे लेकर आती है. ऐसे सौदे पटाती है कि मुझे खुद हैरानी होती है. मन के मुसाफिर खाने के प्रियजन मुझे इसरार और इक़रार के बारे में याद दिलाने में जुट जाते हैं. ये वही है जिन्होंने कभी वादा किया होता है कि मेरी चाहत सिर्फ़ तुम हो इसके सिवा कोई चाहना नहीं है.
कहानी में एक लड़का था, जिसको पीले फूलों के खिले होने का गुमान होता है. वे पीले फूल वसंत के मादक नशे के कारण उसे दिखाई देते हैं. वह थक कर इसलिए बैठ जाता है कि आपको सिर्फ़ वे लोग ही नहीं समझते जो आपके सबसे अधिक करीब होते हैं. वह आसेबज़दा है यानि प्रेतों से घिरा हुआ. वे प्रेत वस्तुतः उसके घर में रहने वाली असंख्य इच्छाओं के है. एक प्रेत ऐसा है जो कहता है कि आज़ादी की हत्या करके ही एक विश्वसनीय घर की पहचान होती है. इन प्रेतों का ये भी कहना है कि घरों में उदास या खुश रहना हालाँकि मना नहीं है परन्तु एक आवश्यक शर्त है कि ख़ुशी या उदासी के सबब परिवार से बाहर नहीं होने चाहिए.
कहानी में रंगीन लिबास की एक लड़की है, ये सृष्टि है. उसे चूमती और संवारती है. उसे नया रचने के लिए प्रेरित करती है. उसे कहती है, वसंत का आना सकारण है. तुम्हारे भीतर सूखते जा रहे पत्तों को झड़ जाने दो. अपनी खुद की तलाश में निकलो. ऐसा करने से तुम बचे रहोगे. सृष्टि उसे कहती है कि मेरी ये अभिलाषा इसलिए है कि तुम मेरे लिए उतने ही जरुरी हो जितना कि मेरा होना. लड़का उसके रंगीन लिबास में छुप जाता है यानि वह सृष्टि को अपने पास महसूस करता है. मन के पराग कणों के संचरण से उपजी इस दिव्य अनुभूति से सुकून उमगता है.
गधे ने मजबूर आँखों से नसरुद्दीन को देखा और एक लम्बी सांस लेते हुए कहा. मैं बहुत मामूली हूँ. मुझे भी उतनी ही तकलीफें, व्यस्तताएं और जिम्मेदारियां मिली हुई हैं जैसी तुम्हारे पास हैं. मेरे पास अविश्वसनीय शक्तियां नहीं हैं. मैं अदृश्य होने का हुनर नहीं जानता हूँ. मेरे पास मायावी जिस्म भी नहीं है कि अपनी धुंए जैसी पूंछ की एक फटकार से ऐसे लोक की रचना कर दूं जहां सब सुख बरसते हों. किसी काल्पनिक जीवन में भरोसा भी नहीं है, जो जी रहा हूँ वही सच है कि मुझे कई जोड़ी आँखें सवाल करती हैं. वे आँखें मेरी चुप्पी पर उदास हो जाती हैं. मेरे हंसने पर मुस्कुराती है. उन आँखों में भी मेरा इंतज़ार है इसलिए मैं सदा अपने को परदे या एकांत में नहीं रख सकता हूँ.
नसरुद्दीन ने गधे को कहा मुझे कहानियों से कोई मतलब नहीं है. मुझे जब तुम्हारी जरुरत होती है तब तुमको होना चाहिए. ऐसा कहते हुए वह गधे के लम्बे राख भरे कानों को सहलाने लगा. उसकी धूल सनी गरदन को बाँहों में भर लिया और बहते हुए नाक से थोड़ा आगे जबड़े के पास चूमने लगा.
रात, मैंने एक कहानी पढ़ी है. उसका शीर्षक है धूप के आईने में और इसका अर्थ लगाया है कि खिले हुए दिन में जो साफ़ दिखाई देता है. इस कहानी में कहा है कि महबूब का घर दिल में होता है तो फिर इंसान क्या खोजता फिरता है ? कहानी में एक मोची है, वह दुनिया के आम आदमी का प्रतिनिधि. मुझे लगता है कि वह मैं हूँ. ऑफिस जाता हुआ, माँ को अस्पताल ले जाता, बच्चों को हौसला देता. पत्नी के सुखी और संपन्न परिवार के सपने को पूरा करता हुआ. उस सपने को अपने विश्वास से सींचता हुआ. हाँ मैं वही मोची हूँ जो सफ़र के लिए सुरक्षित पांवों की चाह वाले लोगों की मदद करता है.
जो अपने जूते और मजबूत करवा लेना चाहती है वह मेरी आत्मा है. उसके बारे में मुझे कुछ खास मालूम नहीं है कि ये हमेशा बेचैन रहती है. इसकी फितरत ऐसी है कि हमेशा धोखे खाता रहता हूँ. मेरी आत्मा मुहब्बतों के छलावे में दर्द और फ़िराक की सौदागर है. मैं अपने दुनियावी परिवार की हिफाज़त में लगा होता हूँ तब ये नए हादसे लेकर आती है. ऐसे सौदे पटाती है कि मुझे खुद हैरानी होती है. मन के मुसाफिर खाने के प्रियजन मुझे इसरार और इक़रार के बारे में याद दिलाने में जुट जाते हैं. ये वही है जिन्होंने कभी वादा किया होता है कि मेरी चाहत सिर्फ़ तुम हो इसके सिवा कोई चाहना नहीं है.
कहानी में एक लड़का था, जिसको पीले फूलों के खिले होने का गुमान होता है. वे पीले फूल वसंत के मादक नशे के कारण उसे दिखाई देते हैं. वह थक कर इसलिए बैठ जाता है कि आपको सिर्फ़ वे लोग ही नहीं समझते जो आपके सबसे अधिक करीब होते हैं. वह आसेबज़दा है यानि प्रेतों से घिरा हुआ. वे प्रेत वस्तुतः उसके घर में रहने वाली असंख्य इच्छाओं के है. एक प्रेत ऐसा है जो कहता है कि आज़ादी की हत्या करके ही एक विश्वसनीय घर की पहचान होती है. इन प्रेतों का ये भी कहना है कि घरों में उदास या खुश रहना हालाँकि मना नहीं है परन्तु एक आवश्यक शर्त है कि ख़ुशी या उदासी के सबब परिवार से बाहर नहीं होने चाहिए.
कहानी में रंगीन लिबास की एक लड़की है, ये सृष्टि है. उसे चूमती और संवारती है. उसे नया रचने के लिए प्रेरित करती है. उसे कहती है, वसंत का आना सकारण है. तुम्हारे भीतर सूखते जा रहे पत्तों को झड़ जाने दो. अपनी खुद की तलाश में निकलो. ऐसा करने से तुम बचे रहोगे. सृष्टि उसे कहती है कि मेरी ये अभिलाषा इसलिए है कि तुम मेरे लिए उतने ही जरुरी हो जितना कि मेरा होना. लड़का उसके रंगीन लिबास में छुप जाता है यानि वह सृष्टि को अपने पास महसूस करता है. मन के पराग कणों के संचरण से उपजी इस दिव्य अनुभूति से सुकून उमगता है.
गधे ने मजबूर आँखों से नसरुद्दीन को देखा और एक लम्बी सांस लेते हुए कहा. मैं बहुत मामूली हूँ. मुझे भी उतनी ही तकलीफें, व्यस्तताएं और जिम्मेदारियां मिली हुई हैं जैसी तुम्हारे पास हैं. मेरे पास अविश्वसनीय शक्तियां नहीं हैं. मैं अदृश्य होने का हुनर नहीं जानता हूँ. मेरे पास मायावी जिस्म भी नहीं है कि अपनी धुंए जैसी पूंछ की एक फटकार से ऐसे लोक की रचना कर दूं जहां सब सुख बरसते हों. किसी काल्पनिक जीवन में भरोसा भी नहीं है, जो जी रहा हूँ वही सच है कि मुझे कई जोड़ी आँखें सवाल करती हैं. वे आँखें मेरी चुप्पी पर उदास हो जाती हैं. मेरे हंसने पर मुस्कुराती है. उन आँखों में भी मेरा इंतज़ार है इसलिए मैं सदा अपने को परदे या एकांत में नहीं रख सकता हूँ.
नसरुद्दीन ने गधे को कहा मुझे कहानियों से कोई मतलब नहीं है. मुझे जब तुम्हारी जरुरत होती है तब तुमको होना चाहिए. ऐसा कहते हुए वह गधे के लम्बे राख भरे कानों को सहलाने लगा. उसकी धूल सनी गरदन को बाँहों में भर लिया और बहते हुए नाक से थोड़ा आगे जबड़े के पास चूमने लगा.