ख्वाहिशों की तितलियाँ बेक़रारी की आग को चूम कर उड़ जाती हैं. जाने किस नगर, किस देश को. झपकती हुई पलकों से देखे किसी अचरज की टिमटिमाती हुई याद रह जाती है. उन तितलियों के पंखों के कुछ रंग आस पास छूट जाया करते हैं.
ऐसे में कुछ शामें बेसबब स्टेडियम की पेवेलियन में बैठे हुए, कई सुबहें सूजेश्वर के पहाड़ी रास्ते वाले शिव मंदिर की सीढ़ियों पर, कई दोपहरें बेखयाल नीम के पेड़ों की छाँव में बीतती रही. वहां हसरतों के घोंसले न थे. बस ज़रा खुला खुला सा लगता था. उन्हीं जगहों पर मैं महसूस करता था कि आवाज़ की सुंदर तितलियाँ, खुशबुओं को छूकर आई है और लम्हों की उतरन को मेरी कलाई पर रखती हुई मुस्कुराती है.
वहीं बैठा हुआ जाने किस बात पर... अचानक किसी शोरगुल भरी कक्षा में पहुँच जाता हूँ. जहां विज्ञान के माड़साब किसी दर्शनशास्त्र के प्रोफ़ेसर में तब्दील हो कर बड़ी गहरी उदासी से बताते कि तितलियों की उम्र चौबीस घंटे हुआ करती है. वे गंभीर होकर खो जाते. जीवन के बारे में कोई ख़याल उनके दिमाग में अटक जाता था. इससे बाहर आने के लिए वे एक झटका सा देते हुए उस ख़याल को नीचे गिरा कर आगे पढ़ाने लग जाते थे.
अव्वल तो बची हुई स्मृतियों की तफ़सील में जाना नामुमकिन है और फिर मुझे प्राणिशास्त्र के रिसालों में भी खास दिलचस्पी कभी नहीं रही. डूबते डूबते ग्यारहवीं पास की और विज्ञान से तौबा कर ली. फिर तौबा का अफ़सोस इसलिए भी नहीं हुआ कि विज्ञान को आज भी मालूम नहीं कि मरने से पहले आदमी किस तरह मर जाता है...
रात को सोकर सुबह जागता हूँ तो बस ज़रा अजाने ही अपनी कलाई को फिर सूँघता हुआ सोचता हूँ कि शायद बचा हो कोई पता. मगर दिन और रातों की खुशबुएँ उड़ जाती है, उन्हीं रंगीन तितलियों की तरह... बेक़रारी नहीं जाती, खिलती रहती है रेलवे क्रीपर की तरह सदाबहार, उपेक्षित और इंतज़ार के हल्के सफ़ेद रंग में या याद के गुलाबी, बैंगनी रंग में...
और वह मुहब्बत भरी आवाज़ चुप्पी में ढल जाती है. तुम्हारे लिए कुछ बेतरतीब पंक्तियाँ लिख कर अपनी इस बात को पूरी कर रहा हूँ.
कभी कभी घर के बाथरूम से भी आने लगती है
होटल के कमरों जैसी गंध
और कभी डूबते समय सूरज
सबको बराबर कंदीलें नहीं बांटता है.
उन दिनों,
हमें ख़ुद ही लाना होता है, घर की गंध को वापस
और रौशनी के लिए जलाना पड़ता है लाल रंग का दिल.
* * *
मैं हर जगह देख रहा हूँ मगर तुमने जाने कहां रख दिया है, अपना हेयर क्लिप... कि रात बहुत गहरी हो गयी है. वैसे इकतालीस साल काफी होते हैं फ़िर भी हेप्पी बर्थडे किशोर कि तुम अभी तक ज़िन्दा हो.