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आज की एक रात रुक जाओ...

ढोला तमीणे देस में म्हें दीठा तीन रतन, एक ढोलो दूजी मरवण तीजो कसूम्बल रंग !

ओ माणीगर रेवो अजूणी रात, पूछों रे मनडे़ री बात
माणीगर रेवो अजूणी रात
थांरे कारणिये ढो़ला जीमणियो जिमाऊं, जीमणिये रे मिस आवो रे बादिला
माणीगर रेवो अजूणी रात, पूछों रे मनडे़ री बात
थांरे कारणिये केलूडी़ रोपाओं, दांतणिये रे मिस आवो रे बादीला
माणीगर रेवो अजूणी रात, पूछों रे मनडे़ री बात...

ओ प्रिये तेरे देश में मैंने तीन रत्न देखे हैं, एक प्रिय दूसरी प्रियतमा और तीसरा कसूम्बल रंग

ओ सौदागर आज की एक रात रुक जाओ तो मन की बात पूछूं
आपके लिए एक भोज का आयोजन करूँ, भोजन के बहाने से आ जाओ ओ हठीले
ओ सौदागर आज की एक रात रुक जाओ...
आपके लिए केलू का पौधा लगवा दूँ, दातुन के बहाने से आ जाओ ओ हठीले
ओ सौदागर आज की एक रात रुक जाओ...

रेगिस्तान में रात जब लाल रंग में घिरने लगती है तो उसे कसूम्बल रंग कहते हैं. मैं ऐसे ही रंग की रातों को ओढ़ कर सो रहा हूँ. विरह की उदासी से घिरी बैठी किस प्रेयसी ने ऐसे लोक गीतों को जन्म दिया होगा कि ज़िन्दगी बस उसके साथ की एक रात का ख़्वाब बन कर रह गयी. गफूर और उसके साथियों के गाये इन लोकगीतों में सुकून है. जिस दिन तुम्हें भूल जाऊँगा उस दिन कहूँगा. गफूर अब तुम घर जाओ, इन गीतों को किसी और के लिए रख लो !

मैं दिल को लाख समझाता हूँ. उसको हज़ार ऐसे किस्से सुनाता हूँ कि तुमसे दिल टूट जाये. ये मेरी सुनता ही नहीं. आज की रात जितनी पी सकता हूँ उतनी शराब पीने के लिए तय है कि मैं बहुत थक गया हूँ.


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स्वर्ग से निष्कासित

शैतान प्रतिनायक है, एंटी हीरो।  सनातनी कथाओं से लेकर पश्चिमी की धार्मिक कथाओं और कालांतर में श्रेष्ठ साहित्य कही जाने वाली रचनाओं में अमर है। उसकी अमरता सामाजिक निषेधों की असफलता के कारण है।  व्यक्ति के जीवन को उसकी इच्छाओं का दमन करके एक सांचे में फिट करने का काम अप्राकृतिक है। मन और उसकी चाहना प्राकृतिक है। इस पर पहरा बिठाने के सामाजिक आदेश कृत्रिम हैं। जो कुछ भी प्रकृति के विरुद्ध है, उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है।  यही शैतान का प्राणतत्व है।  जॉन मिल्टन के पैराडाइज़ लॉस्ट और ज्योफ्री चौसर की द कैंटरबरी टेल्स से लेकर उन सभी कथाओं में शैतान है, जो स्वर्ग और नरक की अवधारणा को कहते हैं।  शैतान अच्छा नहीं था इसलिए उसे स्वर्ग से पृथ्वी की ओर धकेल दिया गया। इस से इतना तय हुआ कि पृथ्वी स्वर्ग से निम्न स्थान था। वह पृथ्वी जिसके लोगों ने स्वर्ग की कल्पना की थी। स्वर्ग जिसने तय किया कि पृथ्वी शैतानों के रहने के लिए है। अन्यथा शैतान को किसी और ग्रह की ओर धकेल दिया जाता। या फिर स्वर्ग के अधिकारी पृथ्वी वासियों को दंडित करना चाहते थे कि आखिर उन्होंने स्वर्ग की कल्पना ही क्य...

टूटी हुई बिखरी हुई

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उसका नाम चेन्नमा था. उसके माता पिता ने उसे बसवी बना कर छोड़ दिया था. बसवी माने भगवान के नाम पर पुरुषों की सेवा के लिए जीवन का समर्पण. चेनम्मा के माता पिता जमींदार ब्राह्मण थे. सात-आठ साल पहले वह बीमार हो गयी तो उन्होंने अपने कुल देवता से आग्रह किया था कि वे इस अबोध बालिका को भला चंगा कर दें तो वे उसे बसवी बना देंगे. ऐसा ही हुआ. फिर उस कुलीन ब्राह्मण के घर जब कोई मेहमान आता तो उसकी सेवा करना बसवी का सौभाग्य होता. इससे ईश्वर प्रसन्न हो जाते थे. नागवल्ली गाँव के ब्राह्मण करियप्पा के घर जब मैं पहुंचा तब मैंने उसे पहली बार देखा था. उस लड़की के बारे में बहुत संक्षेप में बताता हूँ कि उसका रंग गेंहुआ था. मुख देखने में सुंदर. भरी जवानी में गदराया हुआ शरीर. जब भी मैं देखता उसके होठों पर एक स्वाभाविक मुस्कान पाता. आँखों में बचपन की अल्हड़ता की चमक बाकी थी. दिन भर घूम फिर लेने के बाद रात के भोजन के पश्चात वह कमरे में आई और उसने मद्धम रौशनी वाली लालटेन की लौ को और कम कर दिया. वह बिस्तर पर मेरे पास आकार बैठ गयी. मैंने थूक निगलते हुए कहा ये गलत है. वह निर्दोष और नजदीक चली आई. फिर उसी न...