तुम बहुत पहले से मेरे दिल मे हो

भंवरा गुनगुनाता है
पिछली गर्मियों का गीत।

हवा पिरोती है
सीमेंट की जाली के कान में
उसी गीत की और सतरें।

रेगिस्तान की दोपहर में
गिरते हैं आवाज़ के टुकड़े।

पहली बार सुनते हैं
हम कोई आवाज़
और उसमें कोई अजनबीपन नहीं होता।

तुम बहुत पहले से मेरे दिल मे हो
जैसे रेगिस्तान में वीराना रहता है।
* * *

बात करना
गमलों में फूल रोपने जैसा है।

तुम जो मिल जाओ
वह जाने कैसा होगा।
* * *

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