हर काम के होने का कोई मतलब होता है। जैसे कुछ काम पेंडिंग होने को ही होते हैं। कुछ कभी न होने के लिए होते हैं।
कुछ किया, कुछ न किया। ज़िन्दगी चलती रही। फेसबुक को फोन से नहीं हटाया, मन से हटा दिया। क्या हमारे समय का इतना सा मोल रह गया है कि स्क्रॉल करें, अपडेट करने को सोचें या फिर इनबॉक्स किये जाएं। असल में फेसबुक ज़िन्दगी की एक बहुत मामूली सी बात है। ज़िन्दगी का विस्तार इतना है कि हम अचरज भरे उचक सकते हैं, चौंक कर ठहर सकते हैं या फिर कुछ न करने के परमानंद को पा सकते हैं।
अब बस मेल पर बात कर लेना ठीक लगता है। और कहने सुनने लायक बात हो तो फोन पर कर लेता हूँ। मेल का पता yourkc@yahoo.com हैं। यहीं से सब बातें हो जाती हैं।
आज लोक संगीत रिकॉर्ड कर रहा था। मुल्तान ख़ाँ साहब ने नौजवानी भरा गीत गाया। मैं उनको कहने लगा कि आपको कौन कहेगा कि दिल के दो झटके लगे हैं। असल में आज आप दिलों को झटके दे रहे हैं। इसके बाद मैं फोन लेकर स्टूडियो में गया और कहा- "आपको आज अपने फोन में दोस्तों के लिए सहेज लूँ।" उन्होंने कहा- "हमें भी दिखाना" इस बात पर ख़याल आया कि पेज पर शेयर कर आता हूँ।
भपंग पर रौशन, ढोलक पर सवाई, खड़ताल भुंगर ख़ाँ, गायक मुल्तान ख़ाँ और उनका गायन में सहयोग जेते ख़ाँ कर रहे हैं। ये किसी रिकॉर्डिंग का हिस्सा नहीं है मेरे अनुरोध पर गाया है।
इन मीठे प्यारे कलाकारों का शुक्रिया। ❤