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कमअक्ल ये सब क्योंकर सोचता हूँ

शैतान की अक्ल भी जवाब देने लगी है। अच्छा खासा आराम की ज़िंदगी बसर कर रहा है मगर खयाल ऐसे लिखने लगा है कि कल को कोई कह दे, चलो बुलावा आया है। फिर सोचता है कि यूं भी ज्यादा से ज्यादा बीस एक साल बची है उम्र। साथ वाले कितने ही लोग बिना कुछ कहे निकल लिए है। हम जाते हुये दिल की बात तो कह कर जाएँ।

वो जो क़ाफ़िला है बख्तरबंद कारों का और घूमता फिरता है अपने ही वतन की गलियों में, अपने ही लोगों के चेहरों के बीच किस खौफ से घिरा है, क्यों इस कदर पेट्रोलिंग दस्तों में महफूज,  पायलट कारों के दिखाये रास्ते पर है बढ़ता, कौन है दुश्मन इन बख्तरबंद कारों में बैठे गोरे चिट्टे नाज़ुक लोगों का?

मैं सिपाही सीमा की सर्द चट्टानों पे बैठा सोचता हूँ
मैं सिपाही सीमा की तपती रेत पे बैठा सोचता हूँ।

वे खुशबाश गंधों से नहाये, शोफरों के सजदों से बेपरवाह, जिनके बस्ते नौकर उठाए, जो चल के जाएँ तो लगे कि गुलाबी रुई के फाहे उड़ते जाते हैं। उनके लिए ब्रितानी और अमरीकी स्कूलों के दरवाजे खुले हैं, वे कौन है बच्चे?

मैं सिपाही स्कूल जाते बिना पोलिश जूते पहने बच्चों को देखता हूँ
मैं सिपाही स्कूल जाते ट्रेक्टर में बैठे धूल सने बच्चों को देखता हूँ।

वे जो बाथ टबों में खिल कर के आयें, वे जिनका पसीना इत्र सा महके, वे जिनके कपड़ों का कोई ढब ही नहीं है, वे जिनसे डरते हैं खुद कानून वाले, वे जो जादू से भरी औरतें हैं, जिनको छूने की हिम्मत छली देवताओं की भी नहीं हैं, वे कौन औरतें है?

मैं सिपाही चूल्हे के पास बैठी एक भाभी को सोचता हूँ
मैं सिपाही चारे का गट्ठर उठाए थकी हुई औरत को सोचता हूँ।
हाँ सोचता हूँ कि ये एक ही मुल्क में क्या दो दो मुल्कों के लोग हैं रहते और ये किसका है सिस्टम ये किसने बनाया और क्यों कर इसे हम पाले जा रहे हैं लेकिन फिर सोचता हूँ कि मैं दसवीं पास कमअक्ल ये सब क्योंकर सोचता हूँ।

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शैतान प्रतिनायक है, एंटी हीरो।  सनातनी कथाओं से लेकर पश्चिमी की धार्मिक कथाओं और कालांतर में श्रेष्ठ साहित्य कही जाने वाली रचनाओं में अमर है। उसकी अमरता सामाजिक निषेधों की असफलता के कारण है।  व्यक्ति के जीवन को उसकी इच्छाओं का दमन करके एक सांचे में फिट करने का काम अप्राकृतिक है। मन और उसकी चाहना प्राकृतिक है। इस पर पहरा बिठाने के सामाजिक आदेश कृत्रिम हैं। जो कुछ भी प्रकृति के विरुद्ध है, उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है।  यही शैतान का प्राणतत्व है।  जॉन मिल्टन के पैराडाइज़ लॉस्ट और ज्योफ्री चौसर की द कैंटरबरी टेल्स से लेकर उन सभी कथाओं में शैतान है, जो स्वर्ग और नरक की अवधारणा को कहते हैं।  शैतान अच्छा नहीं था इसलिए उसे स्वर्ग से पृथ्वी की ओर धकेल दिया गया। इस से इतना तय हुआ कि पृथ्वी स्वर्ग से निम्न स्थान था। वह पृथ्वी जिसके लोगों ने स्वर्ग की कल्पना की थी। स्वर्ग जिसने तय किया कि पृथ्वी शैतानों के रहने के लिए है। अन्यथा शैतान को किसी और ग्रह की ओर धकेल दिया जाता। या फिर स्वर्ग के अधिकारी पृथ्वी वासियों को दंडित करना चाहते थे कि आखिर उन्होंने स्वर्ग की कल्पना ही क्य...

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