नीम के सूखे पत्ते बढ़ते जा रहे हैं। हेजिंग में मधुमक्खियों ने छत्ता बना रखा है, उसे डेजर्ट लिजार्ड गोह छेड़ती रहती है। उनकी भिनभिनाहट को दफ़्तर के आगे से निकली गाड़ी का सायरन दबा देता है। गाड़ी के गुज़रते ही छप छप के साथ पत्तों के चरमराने की आवाज़ आती है।
मैं धूप में पड़ी लोहे की बेंच से उठकर स्टूडियो के भीतर आ जाता हूँ। यहाँ चुप्पी है। न मादक, न जानलेवा, न दिलफ़रेब। बस रूम टोन जैसी चुप्पी।
क्या वह मुझे सुनाई देती है? शायद नहीं।