विषाणु से बड़ी नफ़रतें


एक था ढेला और एक था पत्ता। जाने कहाँ चले गए। अब तो दोस्ती की कहानियां गुम हो चुकी।

अब ऑफिस में होना उतना अलग नहीं लगता। तीन लोग बार-बार दिखते हैं। एई सर और सुरेश जी टकराते रहते। आज फिर इशारों से बात हुई। आप चेंज ओवर ले लेंगे? मैंने भी शीशे के पार से इशारा किया। हाँ। इसके बाद प्ले लिस्ट पर नज़र डाली।

अपनी स्क्रिप्ट देखने लगा। जीवाणु और विषाणु। विषाणुओं का इतिहास। सदियों का इतिहास होगा मगर जो मालूम है वह है कि विषाणु पिछले दो सौ साल से हर दस साल में लाखों जान खा जाते हैं। हम कितना जल्दी सब भूल जाते हैं और कितने जल्दी फिर डर जाते हैं।

मैं गाना सुनने लगता हूँ। मैंने उनसे कल कहा था, तुमसे हुआ मुझे प्यार तो बोले चल झूठी... रिंकी खन्ना याद आती। उसके बहाने कुछ याद आने की पदचाप सुनाई देने लगती है तो उसे भूलने के लिए स्क्रिप्ट कीओर देखता हूँ। हैजा, हैजा, हैजा ज़ोर से बोलने लगता हूँ।

महामारी तो भूगोल विशेष पर फैली बीमारी को कहते हैं। जो बीमारी देशों की सीमाएं लांघ जाए वह विश्वमारी है। पेंडेमिक।

दूसरे विश्वयुद्ध में भी महामारी का बड़ा इतिहास है। औद्योगीकरण के समय क्षय का भयावह चेहरा था। उसके बाद खसरा, एन्फ्लूएंजा और फिर एड्स। निरन्तर विषाणु जनित बीमारियां। निरन्तर लाखों मौतें।

क्या हम इतिहास में ये सब पढ़ाते हैं? मुझे नहीं मालूम कि इतिहास मेरा विषय कभी न रहा। स्कूल तक विज्ञान पढा और उसके बाद दर्शन और हिंदी साहित्य। मैं थोड़ा सा कुछ याद कर पाता हूँ तो वह औद्योगीकरण ही है।

फ़िल्मी गीत प्ले करता जाता हूँ और श्रोताओं से जीवाणु विषाणु करता रहता हूँ। बीच-बीच में कहता हूँ। जान से हाथ धोने से अच्छा है, अपने हाथ धोते रहिये। व्हाट्स एप पर हज़ार किलोमीटर दूर से संदेशा आता है। उस संदेश में गीत के बोल लिखे हैं। वह गीत जो रेडियो एप पर आकाशवाणी बाड़मेर से प्ले हो रहा है। मैं मुस्कुराता हूँ। सोचता हूँ स्टूडियो से बाहर आकर, उसे फ़ोन करूँगा।

आखिरी गीत से पहले श्रोताओं को याद दिला देता हूँ। माननीय प्रधानमंत्री जी ने क्या कहा है। कल शाम क्या करना है। आशाओं के दीप जलाने हैं। स्टूडियो से बाहर आता हूँ फेसबुक पर एक स्टेटस देखता हूँ "लुटे दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें"

ऑफिस से बाहर आ जाता हूँ। एक परिचित की कार खड़ी थी। एक लड़का गाड़ी को झुककर देख रहा था। वह ड्राइवर को बता रहा था कि क्या करने से काम बन जायेगा। ड्राइवर ने मुझे नमस्ते किया। मैंने गाड़ी के ड्राइवर से पूछा- "क्या गड़बड़ है" वह कहता है- "सर दो नट गिर गए हैं। और होल्डर भी चटक गया है।" इतना कहकर वह इशारा करता हुआ कहता है- "ये नया गेटकीपर है"

मोटर मेकेनिक गेट कीपर की नौकरी पर आ गया है। मैं उसे देखता हूँ। उसके चेहरे पर उदासी का कोई निशान नहीं है। वह ख़ुश भी नहीं है। वह बस है।

मैं खड़ा हूँ। मेरे पास बात करने को कुछ नहीं है।

मैं एटीएम के आगे से निकलते हुए दरवाज़े के बाहर बैठे लड़के को देखता हूँ। उसके पास हाथ धोने को सेनेटाइजर रखे हैं। पानी के केन भी हैं। अब लगभग हर एटीएम के बाहर कोई न कोई गार्ड है। क्या ये भी कोई मिस्त्री, हेल्पर, वेल्डिंग वाले या ऐसे ही किसी काम को करने वाले हैं?

नहीं मालूम।