घर के
बैकयार्ड में लोहे का एक मोबाईल चूल्हा है. इस पर माँ बाजरे की रोटियां
बनाया करती हैं. कभी इस पर काचर का साग पक रहा होता है. अब सर्दियाँ आई तो
हर सुबह नहाने के लिए पानी गरम होता रहेगा. आज माँ गाँव गयी हुई है. मैं
पानी गरम करने लगा था. चूल्हे की आंच के सम्मोहन में गुज़रे मौसम में टूटा
हुआ एक सूखा पत्ता दूर से उड़ कर आग की परिधि में कूद पड़ा.
मुक्ति सर्वाधिक प्रिय शब्द है.
मुक्ति सर्वाधिक प्रिय शब्द है.
* * *
रौशनी
का एक टुकड़ा दरवाज़े से होता हुआ कच्चे आँगन पर गिर रहा है. हवा भी उतनी ही
ठंडी है जैसे बरफ की गठरी की एक गाँठ भर ज़रा सी खुली हो. प्लास्टिक की
मोल्डेड कुर्सी पर बैठा हूँ. पांवों के पास अँधेरा आराम बुन रहा है.
छोले.
गाँधी चौक स्कूल के आगे पहली पारी की रिसेस से दूसरी पारी की रिसेस तक. आलू टिकिया के सिकने की खुशबू. और सर्द दिनों में छोलों की पतीली से उड़ती हुई भाप की दिल फरेब सूरत याद आ रही है. रात के वक़्त उजले दिन की याद जैसे कोई पीछे छूटे हुए शहर को बाँहों में भरे बैठा हो.
टीशर्ट.
उम्रदराज़ होने के बावजूद अपने नीलेपन को बचाए हुए. दूसरे सहोदर, समान रंगी अनगिनत टीशर्ट में से एक. ये रंग और पहनावा किसी पुरखे ने उस वक़्त मेरे कान में फूंक दिया होगा जब माँ को ज़रा सी झपकी आई होगी और मैं नवजात, सर्द रात के किसी पहर अपने हाथ और पाँव आसमान की ओर किये कुछ मंत्र बुदबुदा रहा होऊंगा.
विस्की.
बचपन में जैसे किसी ने कहा हो कि वह एक ऐसी बात बताएगा जो अभी तक न सुनी गयी हो. उसी बात के इंतज़ार में प्याले में भरी हुई.
मैंने कुछ कहानियां लिखी थीं. उनका किताब की शक्ल में आने का इंतज़ार कर रहा हूँ.
चीयर्स !!
छोले.
गाँधी चौक स्कूल के आगे पहली पारी की रिसेस से दूसरी पारी की रिसेस तक. आलू टिकिया के सिकने की खुशबू. और सर्द दिनों में छोलों की पतीली से उड़ती हुई भाप की दिल फरेब सूरत याद आ रही है. रात के वक़्त उजले दिन की याद जैसे कोई पीछे छूटे हुए शहर को बाँहों में भरे बैठा हो.
टीशर्ट.
उम्रदराज़ होने के बावजूद अपने नीलेपन को बचाए हुए. दूसरे सहोदर, समान रंगी अनगिनत टीशर्ट में से एक. ये रंग और पहनावा किसी पुरखे ने उस वक़्त मेरे कान में फूंक दिया होगा जब माँ को ज़रा सी झपकी आई होगी और मैं नवजात, सर्द रात के किसी पहर अपने हाथ और पाँव आसमान की ओर किये कुछ मंत्र बुदबुदा रहा होऊंगा.
विस्की.
बचपन में जैसे किसी ने कहा हो कि वह एक ऐसी बात बताएगा जो अभी तक न सुनी गयी हो. उसी बात के इंतज़ार में प्याले में भरी हुई.
मैंने कुछ कहानियां लिखी थीं. उनका किताब की शक्ल में आने का इंतज़ार कर रहा हूँ.
चीयर्स !!
* * *
अपनी ही अँगुलियों को छू रही है अंगुलियां, बाद मुद्दत के मिले बिछड़े यार की तरह. लौट के फिर से नज़दीक होके चलने का मौसम आया है.