पहले तो दिख जाते थे
दूर से आते हुए पिता।
अब धुंधला जाती हैं आंखें
भरी-भरी गली में
नहीं दिखता उनका आना।
कभी-कभी
इससे भी अधिक उदास हो जाता हूँ।
उन पिताओं के बारे में सोचकर
जो इसी तरह जा चुके बच्चों का
भूल से करने लगते होंगे, इंतज़ार।
* * *
मैं सो नहीं सकता हूँ
कि मैं सो गया तो
कौन जागेगा तुम्हारी याद के साथ?
तुम्हारे बिना
इस खाली-खाली दुनिया मे
कितनी तन्हा हो जाएगी तुम्हारी याद।
* * *
दूर से आते हुए पिता।
अब धुंधला जाती हैं आंखें
भरी-भरी गली में
नहीं दिखता उनका आना।
कभी-कभी
इससे भी अधिक उदास हो जाता हूँ।
उन पिताओं के बारे में सोचकर
जो इसी तरह जा चुके बच्चों का
भूल से करने लगते होंगे, इंतज़ार।
* * *
मैं सो नहीं सकता हूँ
कि मैं सो गया तो
कौन जागेगा तुम्हारी याद के साथ?
तुम्हारे बिना
इस खाली-खाली दुनिया मे
कितनी तन्हा हो जाएगी तुम्हारी याद।
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