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ये जो आंसू अभी टपक पड़ा है, ये क्या है?

इस दुनिया का अकेला नागरिक

एक साबुत रुदन कितना होता है?

ताबीर है जिसकी हसरत ओ ग़म

पपहिया प्यारा रे

मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यों.

दो नाम है सिर्फ इस दुनिया में

खिले फूल शाखों पे नए

कि मैं और तूँ रह गए हम नहीं

राय कॉलोनी का चिड़ीमार

नरक का प्रवेश द्वार