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पपहिया प्यारा रे


क्या आपके पास बची है थोड़ी सी शराब, थोड़ा सा दिल में दुःख या थोड़ी सी ज़िंदगी? हाँ तो आओ सुनो प्रेम की बेमिसाल रचना. मैंने अब तक रेगिस्तान की उन्मुक्त गायकी के उस्ताद जिप्सी मांगणियार गायक गफ़ूर खां और साथियों की आवाज़ में कुछ लोकगीत आपके साथ बांटे हैं. आज दरबारी लंगा गायकी सुनिए. बड़नवा गाँव के गनी खां लंगा और साथियों की आवाज़. नायिका पपीहे का खूब शुक्रिया कह रही है कि उसने पीहू पीहू रटकर उसके प्रिय को कच्ची नींद से जगा दिया है. वह खुद उनको कभी न जगा पाती और रात जाने कैसे बीतती. 

एक दोस्त के लिए, अमित की याद के लिए भी 

सुण सोरठी थनों बीन्जों कहे तूँ म्होरी गली मत आवजो
थोरीं रे पायल हमें बाजनी रे म्होरे ढोले रो अवलो सभाव

म्हे तो बींजा जी आवसों रे ठमके धरसों पाँव
थे तो बींजा जी जोवसो हमें तो धुधले मिलाव

पपहिया प्यारा रे जस रो दिवलो
महाराजा नो काची नींद जगाया

नेड़ी नेड़ी रे करजो महाराजा चाकरी रे
झांझड़ली सा बेगा घर आवो रे
मिरगा नेणी रा ढोला रे
जस रो दिवलो महाराजा ने काची नींद जगोया पपहिया प्यारा रे

ऊंटों री असवारी रे महाराजा रे
अरे घोड़लिया रो टल जोवे रे मिरगा नेणी रा ढोला रे
जस रो दिवलो महाराजा ने काची नींद जगोया पपहिया प्यारा रे

ऊँची ऊंची रे मेड़ी महाराजा रे
झरोखों में आवे ठंडो बाव मिरगा नेणी रा ढोला रे
जस रो दिवलो महाराजा ने काची नींद जगोया पपहिया प्यारा रे

थे म्होरे आईजो महाराजा रे पोमणा
कर रे घोड़लां रो घमासाण रे
जस रो दिवलो महाराजा ने काची नींद जगोया पपहिया प्यारा रे

ओ विलक्षण छंद सी षोडशी तुम हमारी गली मत आना
तुम्हारी पायल बजती है और हमारे प्रिय का स्वभाव बड़ा कोमल है

ओ बींजा जी मैं आऊंगी और धमक के साथ अपना पाँव रखूंगी
ओ बींजा जी आप देखोगे धुंधलके में एक अप्रतिम मिलन

ओ प्यारे पपीहा तुमको तमाम शुक्रिया
कि मेरे महाराज को कच्ची नींद से जगा दिया.
 
ओ प्रिय निकट निकट ही करना नौकरी
धुंधलका होने से पहले घर आ जाना
ओ मृग नयनी के प्रियतम

ओ प्यारे पपीहा तुमको तमाम शुक्रिया
कि मेरे महाराज को कच्ची नींद से जगा दिया.

ऊंटों के सवार चले आ रहे हों
और घोड़ों के दल की राह दिख रही हो
ओ प्यारे पपीहा तुमको तमाम शुक्रिया
कि मेरे महाराज को कच्ची नींद से जगा दिया.

ऊंची ऊंची मेड पर बने हुए
झरोखों से ठंडी हवा आ रही है
ओ प्यारे पपीहा तुमको तमाम शुक्रिया
कि मेरे महाराज को कच्ची नींद से जगा दिया.

ओ महाराज आप तो आना प्रियतम बन
घोड़ों पर घमासान कर के
ओ प्यारे पपीहा तुमको तमाम शुक्रिया
कि मेरे महाराज को कच्ची नींद से जगा दिया.


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