एक दोस्त ने कहा- अच्छा आप मैजिक में घूम रहे हैं। मैं मुसकुराता हुआ हामी भरता हूँ। टाटा कंपनी के बनाए इस पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हिकल का शुक्रिया अदा करते हुये कहता हूँ। देखो न शाम कितनी अच्छी है। हमारे वार्तालाप के बीच एक निर्वात आ जाता है। मैं दोस्त की आवाज़ को सुनने की कोशिश करते हुये इस खालीपन से गुज़रता हुआ सोचता हूँ कि अक्सर अच्छी चीज़ें किसी की याद क्यों दिलाती है। कहो क्यों? मैं ये उससे पूछ लेना चाहता हूँ मगर नहीं पूछता हूँ। इसलिए कि मेरे और उसके निर्वात अलग आकार के हैं। हम दोनों इस ट्रान्स से गुज़रते हुये कभी कभी ही एक दूजे को आवाज़ दिया करते हैं। जब तक आवाज़ का कोई जवाब आता है हम निर्वात के दूसरे छोर तक आ चुके होते हैं।
मैंने परसों सिटी बस में बैठे हुये कुछ सोचा। वह कुछ भी था। जैसे कि सबसे पहले खयाल आया कि शाम को अगर कुछ बादल आ जाएँ और हवा ठंडी हो जाए। ये सोचते ही मैं मुस्कुराने लगा। ऐसा सोचते ही मौसम में ऐसा मामूली बदलाव आया जिसे सिटी बस के यात्रियों में सिर्फ मैं ही महसूस कर सकता था। यानि कि सोचने भर से मौसम में बदलाव आया। फिर मैंने सोचा कि मैं अच्छी विस्की पीऊँगा। एक बेहद पतली, अदृश्य, बारीक मादक लकीर मुझे छूती हुई गुज़र गयी। मैंने सोचा कि बिना बादलों के ठंडी हवा कैसे महसूस हुई? कैसे बिना पिये एक हल्का सा नशा आँख से गुज़रा। मेरे ख़यालों और तसव्वुर में होने भर से क्या वह चीज़ मेरे पास हो सकती है?
अब सिटी बस चली जा रही थी और मुझे एक अच्छा काम मिल गया था। मैंने अपने आप से पूछा कि क्या सचमुच अच्छे मौसम के लिए बाहरी चीजों से छुटकारा पाया जा सकता है? क्या बिना बादल के छांव और नमी के बिना ठंडी हवा का अहसास किया जा सकता है। सिर्फ अहसास ही क्यों, उनको वास्तव में भी अपने आस पास पाया जा सके। मेरे मन ने जवाब दिया कि एक सोच के हल्के इशारे भर से अगर अहसास होता है तो सब कुछ हो सकता है। शराब के नशे के लिए शराब की कहाँ ज़रूरत होगी? ये मादकता, ये छांव और ये ठंडी हवा मेरे भीतर है। मैं चाहूँ तो इसको अपने पास बुला सकता हूँ।
एसकेआईटी से सिटी बस में बैठी हुई चार छात्राएं दुनिया के रंज और ग़म से दूर अपनी टाई को ढीला किए, बाहों को आधा फ़ोल्ड किए, चेहरे पर स्कार्फ बांधे हुये बैठी थी। एक फिल्मी गीत बज रहा था। टूटी हुई मुहब्बत और धोखे की कहानी का गीत। गीत पूछता है कि तुमने ऐसा क्यों किया? एक लड़की अपनी अंगुली से दूसरी की तरफ इशारा करती है। जैसे गायक उसी लड़की के बारे में बात कर रहा हो। इसके बाद हर एक पंक्ति पर वे नन्ही लड़कियां आँखों से मुसकुराती रहती हैं। धूप की तपिश में लू का कारोबार चलता रहता है। मैं अपने बादलों, ठंडी हवाओं और अच्छी विस्की के ख़यालों में खोया हुआ खिड़की से बाहर देखता रहता हूँ। खुद से कहता हूँ देखो सिटी बस जैसा कुछ नहीं है, तुम इस वक़्त हवा में हो और अपने गंतव्य की ओर उड़ रहे हो। हाँ सचमुच वे लड़कियां, दरवाज़े से लटका बस का कंडक्टर और स्टेयरिंग थामें हुये ड्राइवर सभी हवा में उड़ते जा रहे थे।
सच कहूँ तो मैं इन दिनों अवकाश पर हूँ। मैंने दुनिया के व्यवसाय से छुट्टी ले रखी है इसलिए मेरे पास कुछ भी सोचने का वक़्त है। तुम्हें मालूम है न मैं इस तरह हवा में किले क्यों बना रहा हूँ। मैं किसलिए बिन बादल बरसात और शराब के बिना मादक नशे में डूब जाने के खयाल बुनता हूँ। इसलिए कि एक दिन हम सब दूर दूर रहते हुये पास हो सकें और इसलिए भी कि हमें किसी के आने की ज़रूरत ही न रहे।
आह !
ज़रूरत हमेशा के लिए है, उसके बिना जीकर भी क्या करेगा कोई?
एक दोस्त ने कहा- कि जो आदमी अपने दोस्तों को आसानी से जाने देता है, वह अच्छा आदमी नहीं है। मैंने कहा- सच है। अगर मैं अच्छा आदमी होता तो दोस्त की बातें मान लेता। मैं इस तरह सोशल साइट्स पर अपना समय बरबाद न करता। मुझमें लिख सकने की संभावना है तो बैठ कर लिखता। अपना वक़्त बच्चों और आभा को देता। अपने लिए चुनता एक सौम्य, शांत और सुकून भरी शाम। हाँ, मैं अच्छा आदमी नहीं हूँ इसलिए बेतरतीबी से जीता हूँ। मगर बुरा आदमी भी तो दिल की गहराई से प्रेम कर सकता है।
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[Painting Image Courtesy -William James Glackens]