And if I could I'd throw away this world I'd dress you all in pearls I'd give you what you wanted You're all I notice In a crowded room Your vacant motives Unmoved, revealed Medellia of my eyes You're the emptiness of I You're the reason that I drive And if you say you will I would love you still And if I just could Be anything for you Just anyone at all Anything that mattered, washed out POSTED BY COREY AT 11:37 AM मैं कल रात से एक तन्हा आदमी की डायरी को पढ़ रहा था। मैंने कुछ कवितायें और कुछ अर्ज़ियाँ कई कई बार पढ़ी। इस आदमी के बारे में जुलाई 2001 से फरवरी 2003 के बीच का अक्स दिखाई देता है। हम कहाँ से आते हैं और कहाँ खो जाते हैं। हम किन शब्दों से बनते हैं और किन शब्दों के साथ खत्म हो जाते हैं। मुझे नहीं मालूम कि आप कभी दूसरों की खुली ज़िंदगी में झांकना पसंद करते हैं या नहीं। इसलिए भी कि तनहाई जितनी खौफ़नाक है उतनी ही हमदर्द भी हुआ करती है। इस ब्लॉग का लिंक मैंने रात को अपने फेसबुक पेज़ शेयर किया था। इसलिए कि शायद रात के वक़्त आप जाग...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]