कभी-कभी होता तो इसे भूल कह लेता
मगर मैंने दुखों को अक्सर आगे बढ़कर चूमा है.
मगर मैंने दुखों को अक्सर आगे बढ़कर चूमा है.
बुद्ध का बताया तीसरा आर्यसत्य है- दुःख निरोध. कारण के होने पर ही कार्य उत्पन्न होता है. अतः कारण के न रहने पर कार्य भी नहीं रह सकता. दुःख कार्य है अतः उसके कारण को दूर कर देने पर दुःख का निरोध संभव है.
मैंने इंटरनेट नहीं त्यागा. मैंने व्हाट्स एप को त्याग दिया. इंटरनेट जीवन सदृश्य है. व्हाट्स एप उस पर आश्रित उत्पाद है. इंटरनेट ही त्याग दिया होता तो समस्त दुखों से मुक्ति हो जाती. किन्तु प्रकृति के विरुद्ध जाकर, हमें जीवन का त्याग नहीं करना करना चाहिए. वह जिन संयोगों से हमें मिला है, उनके वियोग में परिवर्तित होने के समय तक प्रतीक्षा करनी चाहिए. इसलिए इंटरनेट बना हुआ है. व्हाट्स एप साल भर पहले अनइंस्टाल कर दिया है.
दुःख के त्याग में कुछ दिनों तक प्रतिबद्धता बनी रहती है. स्वयं का निर्णय है. कुछ और दिन बाद वे दुःख स्वयं को याद दिलाने पड़ते हैं. जिनके कारण व्हाट्स एप को विदा कहा था. उसके और कुछ महीने बाद अचानक किसी दोपहर, शाम या रात. या कभी नीम नशे में, या किसी पुरानी टीस के उभरने से बेहद खालीपन पसरने लगता है. मन कहीं किसी से कोई संवाद करना चाहता है. अंगुलियाँ फोन के स्क्रीन को ऑन करने के लिए आगे बढ़ना चाहती हैं.
तभी स्मृति के घने अँधेरे में एक हल्का सा उजास आता है.
आप थे मगर आपने रीड तक न किया. आपने रीड किया, जवाब नहीं दिया. आप ऑनलाइन थे और उत्तर देने में कोई रूचि न थी. किसको जवाब देते हैं और किसको नहीं देते हैं? हमें भी बताएं. रात आपका लास्ट सीन तीन बयालीस का था. किसकी याद में नींदें गुम हैं. या किसी को उस समय भी आप जवाब देते हैं. हमें भरी दोपहर में भी एक जवाबी स्माइली नहीं मिलती. तो आप हमारी चैट मिटाते नहीं है. ताकि समय आने पर सबको दिखा सकें कि हम ही आपके पीछे पड़े थे. दस मेसेज के बाद एक स्माइली भेजते हैं. जैसे कोई अहसान किया है. या शायद हम ओछे हैं. आप बड़े हैं. आपने मेरा नम्बर ब्लॉक करने का सोचा तो ये बताते जाना कि किसका नहीं करेंगे. सुनिए आप अच्छा लिखते हैं इसलिए हम बहक गए. घर हमारा भी अच्छा है. अच्छा आपको मन की बात कह दी तो अब आप ऐसा व्यवहार करेंगे कि हमारा कोई मोल ही नहीं. सुनिए, लव यू और इसके जवाब में ये न कहना आपको भी बहुत सारा प्रेम.
दर्शनशास्त्र में स्नातक किया था. पास होने के लिए बौद्ध दर्शन का सार कई बार पढ़ा. लगातार तीन साल तक पढ़ा. जीवन में ये पढाई, इतनी भर काम आई है कि व्हाट्स एप जैसे एक दुःख से अस्थायी मुक्ति पा ली.
दुःख एक अश्लील चुटकला है. इसे सुनकर सभ्य लोग सामने गंभीर हो जाते हैं और पीठ के पीछे खिलखिलाकर हँसते हैं.
इसलिए मैंने अपने हर नए प्रेम को पुराने प्रेम के बारे में कुछ नहीं बताया.
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बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर किसी के प्रेम में पड़िए. दुखों को आमंत्रित कीजिये ताकि दुःख के संदर्भ में चार आर्यसत्य और आर्य अष्टांगिक मार्ग को समझने का दिन आये. बुद्ध द्वारा ये सब जानने के लिए उठाये गए कष्टों का सम्मान कर सकें.
आ जाना कभी. दोनों एक दूजे के आस-पास आँखें बंद किये बैठे रहेंगे. अपने भीतर तक उतरते हुए, प्रेम में आचरण से उपजे दुखों को क्षमा कर देंगे. और फिर एक नया दुःख बुन लेंगे.
लव यू.
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