एक शाम उसने मेरा कुर्ता पहन लिया। आनंद में, छेड़ के लिए या शायद प्रेम में आकंठ डूब जाने पर उसे कुर्ता पहनने की सूझी होगी। हो सकता है, उसने ये सब सोचा ही न हो। बेसबब उसकी अंगुलियों ने छूकर देखा। उसकी बाहों ने पहन लिया। उसके सीने पर जब लिनेन की छुअन आई होगी तो उसने क्षण भर आँखें बंद कर सोचा होगा ये मैं हूँ या वो मैं हो गयी हूँ।
मन हो तो ही छुअन अच्छी लगती है कपड़े हों कि वो ख़ुद हो।
मेरे साथ कभी ऐसा न हुआ कि मैं अपने लिए जो कपड़े लाया, वे मुझे अपने न लगे हों। लेकिन पिछले बरस एक नीला आसमानी चेक वाला कमीज खरीदा था। उसे पहनते ही लगा कि ये मेरा नहीं है। ये किसी और के लिए बना है। मैंने ख़ुद को देखा तो पाया कि मैं कोई और हूँ कमीज कोई और है। उस कमीज़ में कुछ तस्वीरें ली। उन तसवीरों को मैं देखता और ध्यान हटा लेता। लेकिन फिर वापस देखता। इस तरह हर बार मुझे लगता कि ये मेरी तस्वीर नहीं है। इसे फ़ोटोशोप किया गया है। ये चेहरा किसी और व्यक्ति का है और कमीज़ किसी और का।
एक रोज़ उसने कहा कि आप हाफ़ स्लीव्ज क्यों नहीं पहनते?
मैंने बहुत पीछे के सालों तक सोचा। क्या मैं कभी आधी बाहों वाले कमीज़ पहनता था? मेरी याद में ऐसा कोई कमीज़ न आया। मैं लंबी बाहों वाले कमीज़ क्यों पहनता हूँ। जबकि हर बार बाहें फ़ोल्ड कर लेता हूँ। एक बार बिना किसी योजना के भद्र लोगों के बीच बैठ गए थे। टेबलों पर शीशे के बर्तन सजे थे। उनके बीच अनेक ऐसी चीज़ें थी, जिनका खाने से सम्बंध तो जान पड़ता था लेकिन वे सजावटी अधिक थी। उसने मुझे इशारा किया। बहुत बारीक इशारे ही उस संसार की सभ्यता थी। मुझे बहुत देर से समझ आया कि वह इशारा था, बाहों के फ़ोल्ड खोल लो।
हम बाहर आए तो उसने मेरे कमीज की बाहों को वापस वैसा ही कर दिया। वह अपने हाथों से कफ़ को इस तरह छू रही थी जैसे अपने ही बच्चे को डांट देने के बाद हम उसे प्रेम करने लगते हैं।
वह कमीज़ मुझे मेरा ही लगता था। उस कमीज़ को मैंने बहुत सालों तक पहना। मुझे उस कमीज़ के साथ अक्सर याद आता रहा कि एक सलेटी रंग की जींस होनी चाहिए। एक मॉल में जींस दिखी, जो सलेटी नहीं थी लेकिन उसमें स्याह और सलेटी के बीच की झाईं महक रही थी। वह हम ले आए। मैं उस जींस को पहनता रहा। अब वह बहुत फेड हो चुकी है। वह शायद अधिक समय और न चलेगी। उस जींस को जब भी पहना मुझे वह सफ़ेद कमीज़ याद आता रहा।
मैं कई बार सोचता हूँ कि आधा दर्जन सफ़ेद कुर्ते जैसे कमीज़ सिलवा लूँ। जाने क्यों?
रिश्ते नहीं चलते तब लोग कहने लगते हैं, निभ जाएगा। निभाओ। मैं सोचता हूँ कि कभी कुछ कपड़े भी हमें हमारे अपने नहीं लगते और लोग रिश्तों के बारे में कहते हैं थोड़ा सब्र करो, कोशिश करो। मुझे लगता है कि ऐसा करने से हो जाएगा। लेकिन ये उन लोगों के लिए वैसा ही होता होगा जैसा मुझे वो नीला-आसामनी चैक वाला कमीज़ पहनने से होता है। मेरा अपना है मगर मुझे मेरा लगता नहीं।
ये वाली तस्वीर एक साल पुरानी होने को है। इसे देखता हूँ तो सोचता हूँ कि मैं हाफ स्लीव्ज वाले कमीज़ क्यों खरीद लाया था?