मैं सब मित्रों को कहता हूँ
इनबॉक्स में लपर-चपर मत करो।
लेकिन समझता कौन है?
मैंने मित्रों को फेसबुक मैसेंजर में काफी हताश किया है लेकिन उनको इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि वाल पर बहादुरी का प्रदर्शन करें। इसका काफी अच्छा परिणाम मिला। दो तीन बरस से अनिश्चितकाल के लिए सुकून है। अब व्हाट्स एप पर आचार संहिता लागू करनी पड़ेगी।
मैं दस साल से फेसबुक पर होने के बावजूद फेसबुक को कम जानता हूँ। इसलिए आज ही मालूम हुआ कि चेतन भगत का फेसबुक पेज भी है। इसे लाखों लोगों ने लाइक किया है। इस पेज की अधिकतर पोस्ट्स पर सौ डेढ़ सौ और कुछ पर तीन चार सौ लाइक है। वे पोस्ट जिन पर हज़ार से अधिक लाइक हैं उनको अवश्य ही प्रमोट किया गया होगा।
फेसबुक की आय का पहले नम्बर का बड़ा स्रोत अभी अज्ञात है। दूजे नम्बर पर विज्ञापन है और तीसरे नम्बर लाइक और कमेंट का प्रमोशन है।
क्या लाखों लोग चेतन भगत का पेज लाइक करके सो गए? केवल दो तीन सौ जागते रहे। ये बात जचती नहीं है। इसका अर्थ है कि लाइक पैड हैं या फेसबुक पेज की विड्थ को खत्म करके रखता है। विड्थ वाला मामला फेसबुक के बस की बात है सिर्फ वायरल होने के सिवा।
मैंने कभी पेज को सीरियसली नहीं लिया। आज चेतन भगत के एक माफीनामे पर पांच घण्टे बाद हज़ार एक रिएक्शन आये हैं। इतने गंभीर और साथ ही लोकचाव के विषय पर इतना कम रिएक्शन अजीब लग रहा है। हो सकता है कि आहिस्ता से ये वायरल हो जाये।
मैं तो आज ही सोच रहा था कि मेरे पेज का क्या उपयोग है?
अब समझ आया है कि अपनी भूलें स्वीकार करने और घुटनों के बल बैठकर माफ़ी मांगने के लिए पेज बहुत उपयोगी माध्यम है। इस पर बने रहना चाहिए। पब्लिक से मन की बात कर सकें और बाकी घर में जो जूतम पैजार होनी है, वह तो होगी ही। उसे किन्हीं अपरिहार्य कारणों से नहीं टाला जा सकता।
निजी जीवन एक लकीर ही है। इसके इस पार और उस पार के बीच बहुत कम दूरी है।
ख़ैर हो। शुभरात्रि। ❤