Posts

कमर पर बंधी है कारतूसपेटी

रेगिस्तान में रिफायनरी की आधारशिला

जो अपना नहीं है उसे भूल जाएँ।

रेगिस्तान का आसमान अक्सर

सबकी पेशानी पर है प्रेम की थोड़ी सी राख़

हसरतों का बाग़

शाम के झुटपुटे में

खून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद

मैं टूटे हुये तीर-कमां देख रहा हूँ।

होने को फसल ए गुल भी है, दावत ए ऐश भी है

रेगिस्तान के एक कोने के पुस्तकालय में प्रेमचंद