अजवाइन एक औषधीय पादप वनस्पति है। मेरा बचपन इसकी गंध से भरा रहा है। मैं कई बार इसकी गंध से घबरा जाता था। खासकर स्त्रियों के कपड़ों से इसकी तीखी गन्ध आती थी। एक बार भूल से उनको छू लेने पर मैं बार-बार अपनी अंगुलियां सूंघता था। मुझे कभी उबकाई आने लगती थी। घर में भिन्न अवसरों पर अजवाइन की खोज होती उसे पीसा जाता था। हमारे घर में अब भी पत्थर की चाकी है। इसे घटी कहते हैं। माँ, मौसी या चाची इस पर कुछ न कुछ पीसते रहते हैं। लेकिन जब कभी इस पर ये मसाला पीस लिया जाता उसके बाद मैं उस कमरे में नहीं जाता था जहां घटी रखी रहती थी।
अजवाइन असल में रामबाण औषध कहलाने की योग्यता रखता है। किसी भी प्रकार की बीमारी अथवा स्वस्थ होने पर इसका नियमित सेवन हमारे स्वास्थ्य की बेहतरी में साथ देता है। उदर से संबंधित सभी रोगों का नाश करता है। इसके बीज माने जिसे हम अजवाइन कहते हैं उसके अलावा इसके पुष्प बहुत उपयोगी होते हैं। वे सुंदर नीले-सफ़ेद या हल्के बैंगनी-सफेद दिखते हैं। उन सूखे पुष्पों से भी अनेक औषधियां बनाई जाती हैं। लेकिन रेगिस्तान के लोगों के ग्राम्य जीवन में अजवाइन बिना लाभ हानि सोचे शामिल रहा है।
आजकल घरों में स्वास्थ्य के लिए दवाओं पर निर्भरता बढ़ गयी है लेकिन बुजर्ग औरतें इस मसाले के साथ अब भी बनी हुई हैं। कुछ एक नए ज़माने की नई माएं भी गर्व जताने को कहने लगी हैं "आज तो अजवाइन के परांठे बनाये हैं। सो हेल्दी" मैंने पहली बार हैल्दी परांठा केवल अजवाइन का ही सुना है। अजवाइन के परांठे आम बात होंगे लेकिन रेगिस्तान एक सूखी जगह है इसलिए यहां अब तक अजवाइन की हरी मोटी पत्तियां केवल ख़्वाब भर था।
खैर। मौसी अजवाइन लेकर आई हैं। माँ के साथ मिलकर इसकी धुलाई चल रही है। ख़ुशबू से आंगन महक उठा है। इसे सुखा दिया जाएगा फिर शायद इसके लड्डू बनेंगे। पता नहीं क्या बनेगा?