पूजा स्थलों के अनेक रिच्युयल होते हैं। अक्सर जोड़े में या आगे पीछे दर्शन करने की मान्यता बड़ी है। आप कहीं जाएँ तो कोई कह देगा कि इसके बाद आपको वहाँ दर्शन करने होंगे वरना ये अधूरा रह जाएगा। मैं ऐसे कभी कहीं गया नहीं। वैसे भी मंदिरों और दरगाहों पर मेरा जाना इसलिए हुआ है कि जो साथ था, उसका गहरा मन था। उनके साथ गया। फिर जब उन्होने कहा कि अब यहाँ भी चलना है तो मैं बाहर ही रुक गया। आप जाकर आइए। मैं यहीं बैठा हूँ। थक गया हूँ। जब कोई बच्चा मिट्टी से खेल रहा होता है तब आप उसके साथ खेलने लगते हैं। आप खेलते हैं क्योंकि आप उससे प्यार करते हैं। बच्चा ईश्वर का दूत है। वह मिट्टी को परमानंद समझता है। आप अज्ञानी उसे मिट्टी समझते हैं। मैं भी ऐसे ही मंदिर दरगाह चला जाता हूँ। मुझे साथ वाले की आस्था पर भरोसा है। मैं मानता हूँ कि उसका जीवन अच्छा हो जाएगा। तुरंत कोई चमत्कार न हुआ तो भी वह भीतर से मजबूत रहेगा। जीवन बहुत कठिन है। इसे बिताने को बहुत जुगत लगानी पड़ती है। हम फिर से ई रिक्शा पर थे। रूपेश जी के घर जा रहे थे। वहाँ हमको लंच करना था। हमारे बार-बार मना करने पर भी रेगिस्तानी की मनवार भरी मेजबानी ने हमको
भोपाल, दिल के कोने में भीगा सीला नाम है। [सात] रेल गाड़ी डेगाना स्टेशन से निकल चुकी थी। हम सब लोगों के बैड रोल खुल गए थे। कोच में अभूतपूर्व शांति थी। कोई यात्री लाउड स्पीकर पर नहीं था। हमें दिन की यात्रा की थकान थी। टिकट हमारा भोपाल का था लेकिन बाद में हमने उज्जैन उतरना तय लिया। हालांकि रात के नौ भी नहीं बजे थे। हम सब अपनी जगह पर पहुँच चुके थे। मैंने कुछ देर मोबाइल में झांक लेना चाहा लेकिन लगा कि नींद आ जाएगी। न नींद आती थी न मोबाइल में कुछ देखने को था। मैं रेल यात्रा से जुड़ी कुछ कहानियाँ याद करने लगा। मुझे देजो कोस्तोलान्यी की कहानी लुटेरा काफी प्रिय है। रेल में यात्रा कर रही किसी कमजोर स्त्री को लूट कर हत्या कर देने के लिए एक व्यक्ति रेल में सवार होता है। वह अपना शिकार चुन लेता है। अकेली कृशकाय स्त्री, जैसी कि उसे चाहना की थी। वह उसके आस पास बना रहता है। अचानक वह खाँसने लगती है। खांसी में उसकी सांस अटकने लगती है। वह अपने आप को रोक नहीं पाता। एक ग्लास पानी स्त्री को देता है। योजनानुसार हत्या के बाद उसे अपने हाथ स्प्रिट से धोने थे। वह अपनी जेब से रुमाल निकाल कर उस पर थोड़ा स्प्रिट छिड़