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Showing posts from September, 2011

आखिर थक कर सो जाओगे

ये मग़रिब से आती हवा न थी...

रात की स्याही से भीगी हवा

फ़िर भी हेप्पी बर्थडे...

अग्नि के आचमन से

किसी ज़ीने पर पुराने दिन बैठे होते...

क़ैदख़ाने में सुंदर पीठ वाली लड़की

मरक़दों पे तो चिरागां है शब-ओ-रोज़

आज की एक रात रुक जाओ...