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Showing posts from July, 2010

मैं कब ज़िन्दगी को तरतीब में रखना सीखूंगा, एंथनी !

शामें सुस्त है मगर बोझिल नहीं

एक आत्ममुग्ध बयान और कुछ भड़वे

कुत्ते, तुम रोते क्यों हो यार ?

भाई, मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे अगर मर जाऊं तो ये याद रहे.

ईश्वर, दोस्तों को मुहोब्बत से पहले यकीन दे या पीना सिखा दे