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Showing posts from 2013

तुम जो बिछड़े भी तो खुशी है

कोई चरवाहा भी न रखे

करमण री गत न्यारी

मंडेला मंडेला

साजन गुडी उडावता

ज़िन्दगी रात थी, रात काली रही

ज़ुबानदराज़ होकर भी बेज़ुबान

आखर पोटली वाले बातपोश की विदाई

आतिशदान के भीतर की गंध

बात, जो अभी तक न सुनी गयी हो.

मौत से भी ख़त्म जिसका सिलसिला होता नहीं.

उधर बकरे क़ुरबान, इधर बारूद

दिल के कबाड़खाने में

वो दुनिया मोरे बाबुल का घर

ये धुंआ सा कहाँ से उठता है.

साये, उसके बदन की ओट किये हुए

फ्रोजन मोमेंट

ज़ाहिदों को किसी का खौफ़ नहीं

कमर पर बंधी है कारतूसपेटी

रेगिस्तान में रिफायनरी की आधारशिला

जो अपना नहीं है उसे भूल जाएँ।

रेगिस्तान का आसमान अक्सर

सबकी पेशानी पर है प्रेम की थोड़ी सी राख़