आग के पायदानों पर बैठी स्वर्ण भस्म

तुम उसके दुःख को नहीं समझ सकते. मुस्कान और निर्लिप्तता के तालों में कैद उसकी गहन चुप्पी तक नहीं पहुँच सकते. वह सदाबहार खिले फूलों का तिलिस्म है. आग के पायदानों पर बैठी स्वर्ण भस्म है, वह असंभव और अनंत है. उसे समझने की कोशिशें व्यर्थ हैं. वह अपनी आँखों से तुम्हारे रोम रोम से संवाद करना जानती है. जब भी उससे मिलने जाओ दिल का खाली कटोरा लेकर जाना और चुप से उसके पास धर के बैठ जाना. जब वह उठ कर जाने लगे तब तुम कटोरे को समेट कर देह की झोली में रखना और लौट आना. इसे एक बार फिर दोहराना कि स्त्री असीम और अतुलनीय है.

वह सात समंदर पार से, चीड़ के पेड़ों से भरे पहाड़ से, गंगा के पानी में पांव डाले हुए, नवाबों के शहर में शाम को ओढ़े हुए या महानगरों की उमस भरी छत पर बैठे हुए अपने एक आंसू से प्याला भर देगी और कभी दुखों के विस्तार को समेट कर अपनी हथेली में छुपा लेगी. तुम दस बीस चेहरे लगाने का हुनर जानते हो और उसे उन सभी चेहरों को सब्र के संदूक में करीने से रखने का फ़न आता है. स्त्री के बारे में अगर और ज्यादा जानोगे तो तुम उससे डरने लगोगे. इसलिए वह तुम्हें जानने नहीं देना चाहती, इसीलिए तुम उसकी गहन चुप्पी तक कभी नहीं पहुँच सकते.

मेरे दिल के कटोरे में रखी ये बातें अद्भुत स्त्रियों की ही दी हुई है. ऐसे ही एक शाम हंगरी के मोपासा और अपने समय में विश्व के सबसे प्रसिद्द फ़िल्म संवाद लेखक लायोश बीरो की कहानी पढ़ी. इसका शीर्षक है "वियना का हीरा". कहानी एक भूतपूर्व दरबारी अर्दली मि. शोल्ज, उनकी पत्नी लिजी और उनके तीन बेटों की है. पिछले बाईस सालों से मि. शोल्ज रात को शराब पीकर घर आते हैं. उनसे पहले उनके तीन बेटे संगीत की कक्षा से रिहर्सल कर एक साथ घर में प्रवेश करते हैं. तीनों बेटे माँ को घूरती हुई नज़रों से देखते हैं और उदासीन मुंह बना कर खाना खाकर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चले जाते हैं.

उनके बाद उनका पिता आते ही खाना खाने के बाद हर रात अपनी पत्नी को पीटने की तैयारी करता है क्योंकि नरक की आग में जलने से पहले इस धरती पर विधाता ने उसे सजा देने का काम सौंप रखा है. एक अपराध की सजा, कानूनी पति को धोखा देने की सजा. डायनिंग टेबल से उठते ही हर रात वह अपनी पत्नी को घुटनों के बल बैठ जाने हुक्म देता है. स्त्री भयभीत कांपती हुई बैठ जाती है और वह अपनी चमड़े की बेल्ट से उसे थक जाने तक पीटता जाता है. वह आंसू भरे नेत्रों को पौंछे बिना उठती है और अपने स्कर्ट की सलवटें ठीक करने लगती है.

एक रात इस घटनाक्रम के आरम्भ होने के समय उसके बेटे बेहद विचलित होते हैं. वे मानते हैं कि पति को धोखा देना अक्षम्य अपराध है इसलिए वह सजा की हक़दार है लेकिन बाईस साल की अवधि प्रायश्चित्त के लिए किये जा रहे इस अत्याचार के लिए कुछ अधिक है. इसी बेचैनी में एक बेटा दरवाजे की ओट से अपने माता पिता के संवाद को सुनता है.
घुटनों के बल बैठ जाओ.
क्या तुम मानती हो कि तुमने विश्वासघात किया है ?
हाँ.. थरथराती हुई औरत जवाब देती है
तुम्हारे कितने प्रेमी थे ?
एक, मैं कसम खाती हूँ.
वह कौन था ?

उस औरत ने हल्के से जवाब दिया लेकिन दरवाज़े के पीछे खड़े हुए बेटे का मुंह पीला हो गया. उसने अपने भाईयों को वह नाम बताया. वे तीनों दौड़ते हए बाहर आये और अपने पिता को पकड़ लिया. उन्होंने पिता के तमाम प्रतिरोध के बावजूद उनको एक कमरे में ले जाकर बंद कर दिया. शराबी दरवाजा पीटता हुआ सो गया. बेटे अपनी माँ के पास आये और उनसे बैठ जाने का अनुरोध किया. उन्होंने पूछा. माँ वह कौन था ? औरत की थकी पलकें उसकी भीगी पलकों पर छा गई. वह फुसफुसाई, बीथोवन... बेटों ने चौंक कर एक दुसरे को देखा. कौनसा बीथोवन ? औरत ने भीगी पलकें ऊपर की और कहा. वह एक ही था, 'लुडविग फ़ान बीथोवन'. इसके बाद औरत ने उनकी तरफ देखा फिर दूर कहीं देखती रही और धीरे-धीरे उसकी आँखों में कोमल प्रकाश आ गया. कातर, स्वप्निल स्वर में बोलने लगी और तीनों संगीतकार साँस रोके, लालायित, श्रद्धावनत, गहरे भावावेश में सुनने लगे.

शास्त्रीयता और प्रेम का सेतु बीथोवन जब दिल में समा जाता है तब स्त्री असीम हो जाती है. मुझे और कुछ कहने की जरुरत है ?