अपने जानने से परे
बारिश के इंतज़ार में कभी बारिश आ जाती है। हम बीज बोने के बाद नन्हे पौधे की प्रतीक्षा करते हैं। एक दिन वहीं टहनियां बन जाती हैं। हम सोचते हैं फूल खिल आएं। किसी सुबह कोई फूल खिला होता है। कभी हम सोचते हैं कि ज़िन्दगी गुज़र जाए तो अच्छा। एक रोज़ पाते हैं कि ज़िन्दगी गुज़र चुकी है। हम सचमुच जानते हैं कि क्या होना है। हम बस अपने जानने को मानना नहीं चाहते।
जीवन की दिव्य दृष्टि के समक्ष हमारा ज्ञान सबसे बड़ी बाधा है।