तूं सोया रह सकता है, उसके साथ...

कुछ ख़ुद को दी हुई सलाहें हैं बाकी ख़यालों के नक़्शे पर उभर आई उम्मीदों पर पड़े हुए दाग़ हैं. एक तूं हो नहीं सकता और तेरे सिवा कुछ भी नहीं...

रसायन के नियम
सब जगह नहीं आते काम
दिल के कीमियागर
सब चीज़ों को बदल देते हैं, अफ़सोस में.
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दिल इतना बुद्धू है कि हर वक़्त
अहमक़ी दुनिया पर
फ़ाश करना चाहता है, अपना राज़.
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वीराने की ओर लौटता हुआ तूफ़ान होता है
आदमी.

दिल के धड़कते ही चढ़ता है आसमान में
दिल के टूटते ही उतर आता है ज़मीन पर.
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पी लो थोड़ी सी और गर बढ़ गया हो सवालों का बोझ
चलो लड़खड़ाते यूं कि लगे आहिस्ता नाच रहे हो तुम
कहो महबूब से कि तूं सोया रह सकता है, उसके साथ.

यूं एक बच्चे की तरह
हैरत से देखता है क्या, उम्र के इस मोड़ पर सोचता है क्या?
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[Painting image courtesy : Judith Cheng]