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हथकढ़
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]
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May 25, 2020
तुम्हारे इंतज़ार में - 2
कमलदल से भरे
तालाब के किनारे बैठी नायिका
सहसा लजा गई।
कि हवा के चूमने से
फूल लरज़ कर सहम गया।
अभी-अभी देखा एक चुम्बन
जड़ों तक उतर गया
जैसे कभी-कभी न मिल पाने की बेकसी
आत्मा तक उतरती है।
______
कुछ तस्वीरें बेसबब, कुछ ख़त उसके नाम।
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